3.3 कुछ पादप तंतु
रुई
क्या आपने कभी तेल के लैंपों के लिए बत्तियां बनाई है? इन बत्तियों को बनाने के लिए, आप क्या उपयोग में लाते हैं? इस रुई का उपयोग गद्दों, रजाइयों अथवा तकियों में भी किया जाता है।
कुछ रुई लीजिए, इसे खींचकर पृथक कीजिए और इसके किनारों को ध्यान से देखिए। आपको क्या प्रेक्षण किया? ये छोटी पतली लड़ियां, जिन्हें आप देख रहे हैं, कपास तंतुओं से बनी हैं।
रुई कहां से आती है? इसे खेतों में उगाया जाता है। साधारणतया कपास के पौधे वहां उगाए जाते हैं जहां की मृदा काली तथा जलवायु उष्ण होती है। क्या आप ऐसे कुछ राज्यों के नाम बता सकते हैं जहां हमारे देश में कपास की कृषि की जाती है? कपास पादप के फल (कपास गोलक) लगभग नींबू की माप के होते हैं। पूर्ण परिपक्व
होने पर बीज टूटकर खुल जाते हैं तथा अब कपास तंतुओं से ढका बिनौले (कपास बीज) को देखा जा सकता है। क्या आपने ऐसा कपास खेत देखा है जो कपास चुने जाने के लिए तैयार हो चुका है? इस समय खेत कपास के परिफुल्लों ( रोवों) से इतना श्वेत हो जाता है जैसे हिम ने ढक लिया हो ( चित्र 3.6)।
साधारणतया इन कपास बाॅलों से कपास को हस्त चयन द्वारा प्राप्त किया जाता है। इसके पश्चात कपास से बीजों को कंकतन द्वारा पृथक किया जाता है। इस प्रक्रिया को कपास ओटना कहते हैं। प्रारं
पारंपरिक ढंग से कपास हाथों से ओटी जाती थी (चित्र 3.7)। आजकल कपास ओटने के लिए मशीनों का उपयोग भी किया जाता है।
जूट (पटसन)
पटसन तंतु को पटसन पादप (चित्र 3.8 ) के तने से प्राप्त किया जाता है। भारत में इसकी खेती वर्षा ऋतु में की जाती है। भारत में पटसन को प्रमुख रूप से पश्चिम बंगाल, बिहार तथा असम में उगाया जाता है। सामान्यतः पटसन पादप (फसल) को पुष्पन अवस्था में काटते हैं। फसल कटाई के पश्चात पादपों के तनों को कुछ दिनों तक जल में डुबोकर रखते हैं। ऐसा करने पर गल जाते हैं और उन्हें पटसन तंतुओं से हाथों द्वारा पृथक कर दिया जाता है।
वस्त्र बनाने से पहले इन सभी तंतुओं को तागों में परिवर्तित कर लिया जाता है। ऐसा कैसे किया जाता है?


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