3.2 तंतु

क्रियाकलाप 3
किसी सूती कपड़े के टुकड़े से कोई तागा बाहर निकालिए।  इस तागे के टुकड़े को मेज पर रखिए। इस तागे के टुकड़े के एक सिरे को अपने अंगूठे से दबाएं। तागे के दूसरे सिरे को इसकी लंबाई के अनुदिश, चित्र 3.4 में दर्शाए अनुसार अपने नाखून से खरोंचिए। क्या आप इस सिरे पर यह देखते हैं कि तागा पतली लड़ियों में विखंडित हो गया है ( चित्र 3.5)?
  सुई में तागे को पिरोने (डालने) का प्रयास करते समय भी आपने ऐसा ही प्रेक्षण किया होगा। क‌ई बार तागे का यह सिरा कुछ पतली लड़ियों में पृथक हो जाता है। ऐसा होने पर तागे को सुई के नोक से गुजारना कठिन हो जाता है। तागे की ये दिखाई देने वाली पतली लड़ियां भी और अधिक पतली लड़ियों से मिलकर बनी होती है, जिन्हें तंतु कहते हैं। 
   वस्त्र, तागों ( या धागों) से मिलकर बनते हैं तथा तागे भी आगे तंतुओं से मिलकर बने होते हैं। ये तंतु कहां से आते हैं? 
   कुछ वस्त्रों, जैसे सूती, जूट, रेशमी तथा ऊनी के तंतु पादपों तथा जंतुओं से प्राप्त होते हैं। इन्हें प्राकृतिक तंतु कहते हैं। 
रुई तथा जूट (पटसन) पादपों से प्राप्त होने वाले तंतुओं के उदाहरण हैं। ऊन तथा रेशम जंतुओं से प्राप्त होते हैं। ऊन, भेड़ अथवा बकरी की कर्तित ऊन से प्राप्त होती है। इसे खरगोश, याक तथा ऊंटों के बालों से भी प्राप्त किया जाता है। रेशमी तंतु रेशम कीट कोकून से खींचा जाता है।  हजारों वर्ष तक वस्त्र निर्माण के लिए केवल प्राकृतिक तंतुओं का ही उपयोग होता था। पिछले लगभग सौ वर्षों से ऐसे रसायनिक पदार्थों, जिनका स्रोत पादप अथवा जंतु नहीं है, से तंतुओं का निर्माण किया जा रहा है। इन्हें संश्लिष्ट तंतु कहते हैं। पाॅलिएस्टर, नायलााॅन और ््र््र
एक्रिलिक, संश्लिष्ट तंतुओं के कुछ उदाहरण हैं। 

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